Saturday 2 September 2017

सारस पत्रिका प्रवेशांक 'साहित्य में किसान'

सारस

[साहित्य, पत्रकारिता और राजनीति की प्रतिरोधी पत्रिका]

सारस पत्रिका प्रवेशांक 'साहित्य में किसान'




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प्रवेशांक 'साहित्य में किसान' [सितंबर 2017]

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Saturday 3 June 2017

‘सारस’ पत्रिका के प्रवेशांक का विषय है —‘साहित्य में किसान (रचनाएँ आमंत्रित)



इस विषय के तहत भारतीय समाज में किसानों की स्थिति तथा भारतीय अर्थव्यवस्था में किसानों की भूमिका को खत्म करने के प्रयास से संबंधित समस्याओं के बावजूद किसान आधारित रचनात्मकता (सृजन के सभी क्षेत्रों) के ह्रास के कारणों को जानने का प्रयास करेंगे. लगभग भारतीय भाषाओं में गिने-चुने रचनाओं के आधार पर लेखकों-विचारकों की संतुष्टि इस विषय पर लेखन की मांग को पूर्ण नहीं करता है. किसान आन्दोलनों की समस्याएं, अनाज की उपलबध्ता की समस्या तथा जमीन की समस्याओं का लगातार बढ़ना और इन विषयों पर लेखकों की उदासीनता कहीं न कहीं उन प्रवृतियों को बढ़ावा देता है जो इस समुदाय को खत्म करने पर आमादा है. सृजन के क्षेत्र के साथ-साथ पिछले 30-40 वर्षों में ‘फाँस’ के अतिरिक्त न तो कोई ठोस रचनाएँ ही देखने को मिलती है और न ही आलोचनाओं में इसकी मांग उठती है. दुनियाँ भर के पुरस्कारों में भी शायद ही यह देखने को मिला हो कि किसी ऐसी रचना को पुरस्कृत किया गया हो जो किसान आधारित रचना हो. 

‘सारस’ के पहले अंक में हम साहित्य में किसानों की मौजूदगी, किसान समस्याओं पर लेख-विचार, कहानी, कविता, गज़ल तथा किसान आधारित फिल्मों पर लेख, समीक्षा, रिपोर्ट, संस्मरण लिखने के लिए आपको आमंत्रित करते हैं ताकि इस महत्वपूर्ण विषय पर हम एक रचनात्मक बहस का माहौल तैयार कर सकें. 

सभी रचनाएँ 30 जून 2017 तक पत्रिका के मेल पर भेज दें.

(पत्रिका जुलाई में ISNN नं के साथ प्रकाशित होगी) 


संपर्क:- 07447376242, 9312179624.

pc: indian opines    


        

Thursday 1 June 2017

सारस (साहित्य, पत्रकारिता और राजनीति की प्रतिरोधी पत्रिका)


‘सारस’ प्रेम और प्रतिबद्धता के पर्याय के रूप में विख्यात है. सारस का प्रेम संयोग को प्राप्त करता है और बिछोह का तिरस्कार करता है और यह उसका प्राकृतिक गुण है. ‘सारस’ पत्रिका इसी प्राकृतिक गुण को आधार बनाकर समाज के प्रति प्रतिबद्ध और सामाजिक समस्याओं के कारणों का तिरस्कार करते हुए एक मजबूत आवाज के साथ पत्रिका के रूप में ख़ुद को स्थापित करेगी. साहित्य, राजनीति, पत्रकारिता जैसे शाखागत मजबूत भुजाओं के प्रयोग से एक आंदोलनकारी वातावरण निर्मित करने की ओर अग्रसर रहना ही ‘सारस’ पत्रिका का उद्देश्य होगा. जिस प्रकार अपनी अच्छी आबादी के बावजूद अपनी ही जमीन पर ‘सारस’ विलुप्त प्रजाति की ओर धकेल दिया गया है ठीक उसी प्रकार से संसाधन विहीन होते समुदाय के लोगों के लिए ‘सारस’ पत्रिका एक सृजनात्मक आंदोलनकारी आवाज के रूप में होगी जिसके लेखक, कवि, आलोचक, समीक्षक तथा विचारक दमनकारी व्यवस्था की आँखों में आँखें डाल कर निर्भयता के साथ समाज के पक्ष में खड़े होंगे. शोषित और वंचितों के साथ ‘सारस’ पत्रिका सृजनात्मकता के स्तर पर उसी प्रतिबद्धता के साथ खड़ी रहेगी जिस प्रकार सारस पक्षी अपने जीवन के अंतिम क्षण तक अपने साथी के लिए प्रतिबद्ध रहता है.

पत्रिका में अभी-अभी